tag:blogger.com,1999:blog-8462401431882658920.post963223330929766235..comments2014-05-29T03:53:22.024-07:00Comments on तीर्थंकर महावीर स्वामी जी: कौन होता है आदर्श जैन?पत्रकार रमेश कुमार जैनhttp://www.blogger.com/profile/10467835202456745362noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8462401431882658920.post-9663413723762004972011-07-28T23:14:29.374-07:002011-07-28T23:14:29.374-07:00बहुत अच्छी जानकारी। बधाई ।बहुत अच्छी जानकारी। बधाई ।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8462401431882658920.post-43671919582407934702011-07-28T20:43:22.525-07:002011-07-28T20:43:22.525-07:00सुंदर आलेख के लिए बधाई!
रमेश जी,
आप हर विषय के लिए...सुंदर आलेख के लिए बधाई!<br />रमेश जी,<br />आप हर विषय के लिए एक नया ब्लाग बना लेते हैं। एक नए ब्लाग पर लोग मुश्किल से आते हैं। उन्हें लाने के लिए अनेक प्रयत्न करने पड़ते हैं। यह वैसे ही है कि आप जमीन पर छोटी छोटी झोपड़ियाँ बना ले। फिर एक में पिता. दूसरी में माता,तीसरी में एक बेटा, चौथी में दूसरा बेटा, पाँचवीं में एक बेटी ...... रहने लगे। <br />इस से जमीन बेकार हुई, सब अलग अलग रहे, जीवन बिखर गया। <br />इस से अच्छा होता एक अच्छा मकान बनाते उसी में मंजिलें बनाते। सब साथ रहते। सब की पहचान भी एक परिवार सी बनी रहती।<br />मेरा तो आप से आग्रह है कि आप अपने सब ब्लागों की सब पोस्टों को एक साथ इकट्ठा कर दें। उन में से समय के साथ बेकार हो चुकी पोस्टें मिटा दें। एक ही ब्लाग रहने दें। उसी पर काम करें। अन्य ब्लागों को अभी सुप्त रहने दें। यदि आप को एक ब्लाग पर ही काम करने से परिणाम अच्छे मिलें तो उसे ही रखें. अन्य को मिटा दें। <br /><br />इसी पोस्ट को देखें इस पर कितने लोग आए हैं और आएंगे? यदि आप अपने पुराने ब्लाग पर ही इस पोस्ट को डालते तो अनेक अब तक पढ़ चुके होते।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com